जिस रेलवे जंक्शन पर मधु अपनी मां और छोटे भाई के साथ अपने गांव के लिए रेल पकड़ने आती है, उस रेलवे जंक्शन पर हमेशा सन्नाटा छाया रहता था उस छोटे रेलवे जंक्शन पर यात्री नाम मात्र के लिए आते थे, वह रेलवे जंक्शन चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ था, रेलवे जंक्शन के अंदर एक छोटी सी चाय पकौड़ों की दुकान थी उस दुकान का दुकानदार एक बुजुर्ग व्यक्ति था।
मधु अपने परिवार के साथ रेलवे जंक्शन के अंदर घुसने के बाद अपनी मां छोटे भाई को रेलवे जंक्शन की बेंच पर बिठाकर रेल की टिकट लेने जाती है और मधु रेल की टिकट खरीदने के बाद अपनी मां छोटे भाई के पास आकर सामान के बैंग से खाने का टिफिन निकाल कर अपने छोटे भाई के साथ बेंच पर बैठकर आलू के परांठे खाने लगती है, रेलवे जंक्शन का सन्नाटा देखकर मधु उसकी मां मधु का छोटा भाई अपने को बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे थे क्योंकि रेलवे जंक्शन की वह चाय पकौड़ों कि बुजुर्ग की दुकान भी उनसे काफी दूरी पर थी।
सब एक दूसरे से कहे बिना यह महसूस कर रहे थे कि जल्दी से रेल आए और हम इस सुनसान डरावने रेलवे जंक्शन से निकलकर जल्दी अपने गांव पहुंचे ।
और उसी समय रेलवे स्टेशन के आसपास के घने जंगलों से एक हाट्टा कट्टा काले रंग का देखने में खूंखार भालू रेलवे जंक्शन पर आ जाता है।
मधु और उसके छोटे भाई को रेलवे जंक्शन की बैंच पर बैठकर कुछ खाता हुआ देखकर वह जंगली भालू उनकी बेंच के पास आकर खड़ा हो जाता है। मधु रेलवे जंक्शन की बैंच पर खाने का टिफिन छोड़कर अपने छोटे भाई मां का हाथ पकड़ कर रेलवे स्टेशन की उस बैंच से उनके साथ दूर भाग कर खड़ी हो जाती है जंगली भालू बैंच पर रखा खाने का टिफिन दूर फेंक कर धीरे-धीरे उनके पास आने लगता है भालू को अपने पास आता हुआ देख मधु की मां छोटा भाई डर से चिल्लाने लगते हैं।
मधु उसकी मां छोटे भाई का शोर चीख पुकार सुनकर चाय की दुकान वाला बुजुर्ग व्यक्ति अपने हाथ में एक मोटा डंडा लेकर उनको भालू से बचाने उनके पास जल्दी-जल्दी भाग कर आने लगता है, उसके आने से पहले ही जंगली भालू मधु की मां छोटे भाई पर हमला करने कि तैयारी कर देता है, तो उसी समय एक आदित्य नाम का युवक मधु की मां उसके छोटे भाई और भालू के बीच में आकर खड़ा हो जाता है।
आदित्य ने ब्लैक लेदर की जैकेट ब्लू जींस और फौजी जूते पहन रखे थे, आदित्य लंबा चौड़ा हष्ट-पुष्ट खूबसूरत युवक था, उसकी नीली नीली आंखें बादामी रंग था।
आदित्य तुरंत अपने कंधे से अपने सामान का बैग उतार कर उस बैंग से भालू को डरा-धमका कर वहां से भगा देता है।
आदित्य के आने से पहले मधु उसकी मां छोटा भाई उस सुनसान रेलवे जंक्शन पर अकेले थे, इसलिए आदित्य के आने के बाद वह सब अपने को बहुत सुरक्षित महसूस करते हैं।
मधु जैसे जीवन साथी की कल्पना करती थी वह सब खूबियां उसे पहली ही मुलाकात में आदित्य के अंदर नजर आती है।
आदित्य भालू को भागने के बाद भालू से डरे हुए मधु के छोटे भाई को अपनी गोदी में उठा लेता है और मधु की मां से खातनाक भालू कि बातें करते हुए उनके साथ रेलवे जंक्शन की बेंच पर बैठ जाता है।
कुछ ही देर में काली-काली घटाएं छाने लगती है और आंधी तूफान के साथ तेज बारिश होने लगती है तेज बारिश के साथ इतनी तेज तेज ठंडी ठंडी हवाएं चलती हैं कि मधु उसकी मां छोटा भाई ठंड से ठिठुरने लगते हैं, सबको ठंड से कांपता हुआ देखकर आदित्य मधु के छोटे भाई को अपनी गोदी में उठाकर रेलवे जंक्शन कि उस बुजुर्ग चाय वाले कि दुकान पर गरमा गरम चाय पकौड़े लेने जाता है, वह बुजुर्ग चाय वाला भी एक तसले में सुखी लड़कियां और कोयले से आग जलाकर अपनी चाय की दुकान के पास ठंड से बचने से आग पर तप रहा था उसी समय आदित्य की नजर उस बुजुर्ग चाय वाले की दुकान में रखे एक टूटे-फूटे सिल्वर के बर्तन पर जाती है, वह मधु और मधु के परिवार को ठंड से बचने के लिए चाय वाले से उस टूटे-फूटे सिल्वर के पुराने बर्तन में थोड़ी सी लकड़ी कोयले की आग मांगता है और साथ ही चाय वाले से गरमा गरम चाय पकौड़े पकाने के लिए कहता है और जब तक वह चाय वाला चाय पकौड़े पकता है, तो इसलिए वह मधु के छोटे भाई को उसी समय खाने के लिए एक बिस्कुट का पैकेट दिलवाता है।
जब आदित्य चाय की दुकान पर चाय पकौड़े पकने का इंतजार कर रहा था, तो उसी समय रेल की पटरी की दूसरी तरफ से एक पागल व्यक्ति मधु उसकी मां की तरफ आ रहा था, उस पागल व्यक्ति की लंबी-लंबी दाढ़ी मुछे थी लंबी-लंबी काली काली साधु जैसी बालों की लटाए थी और उसने गले में पत्तों की माला पहन रखी थी, उसने हाथ में एक पहाड़ी पत्थर ले रखा था, देखने में वह एक भयानक राक्षक लग रहा था और वह पागल व्यक्ति कुछ ही मिनटों में मधु की मां के पास पहुंच जाता है।
और मधु की मां को पत्थर दिखा दिखा कर डराने लगता है, उस पागल व्यक्ति को देखकर मधु को ऐसा लग रहा था कि यह पागल व्यक्ति मेरी मां को पहाड़ी पत्थर मार सकता है और वह पागल व्यक्ति जैसे ही मधु की मां के ऊपर पहाड़ी पत्थर फेंक कर हमला करता है तो आदित्य दोबारा वैसे ही मधु की मां और उस पागल व्यक्ति के बीच में आ जाता है, जैसे वह कुछ देर पहले भालू और मधु की मां भाई के बीच में आया था।
आदित्य किसी तरह उस पागल व्यक्ति को रेलवे जंक्शन से भगा देता है, उस पागल व्यक्ति को रेलवे जंक्शन से भगाने के बाद आदित्य चाय कि दुकान पर तेज तेज रोते हुए मधु के छोटे भाई को और चाय पकौड़े लेने दुबारा चाय की दुकान पर जाता है।
आदित्य के चाय की दुकान पर जाने के बाद मधु अपने मन में सोचती है कि ईश्वर ऐसा हो आदित्य ही मेरा जीवन साथी बन जाए, लेकिन मधु को यह नहीं पता था कि मधु की मां भी आदित्य को पढ़ा-लिखा सच्चा सुंदर दूसरो कि मदद करने वाला देखकर मधु की उससे शादी करने की सोच रही थी, परंतु आदित्य से मधु उसकी मां को बात करने से और उसकी चाल ढाल से ऐसा लग रहा था कि आदित्य शादीशुदा युवक है।
आदित्य मधु के छोटे भाई के साथ चाय और गरमा-गरम पकौड़े लेकर मधु और उसकी मां के पास आता है और अपना पर्स निकाल कर अपने पैसों को ठीक से पर्स में रखने लगता है तो मधु उसकी मां को उसके पर्स में दो युवक और दो युवक्तियों की तस्वीर नजर आती है। आदित्य के पर्स में दो युवतियों की तस्वीर देखने के बाद मधु उसकी मां सोच में पड़ जाती है कि शायद आदित्य विवाहित है।
आदित्य चाय पकौड़ों के साथ एक सिल्वर के बर्तन में सुखी लड़कियों कोयले की आग भी लाया था, इसलिए वह उस आग के बर्तन को रेलवे जंक्शन की बेंच के पास रखकर सबको पकोड़े खाने चाय पीने के साथ-साथ आग पर ठंड से बचने के लिए तपने के लिए कहता है, उस समय मधु कि मां कुछ सोच समझ कर आदित्य से यह पता लगाने के लिए कि वह शादीशुदा है या कुंवारा उसके परिवार के बारे में पूछती है?
मधु की मां जैसे ही आदित्य के परिवार की जानकारी लेने लगती है तो मधु को ऐसा लगता है कि मां मेरे दिल की बात आदित्य से पूछ रही है।
जैसे पहली मुलाकात में ही मधु आदित्य से प्यार करने लगी थी वैसे ही आदित्य को भी मधु से पहली ही मुलाकात में प्रेम हो गया था, किंतु आदित्य अपनी नजरों से एक बार भी ऐसा जाहिर नहीं करता है कि वह भी मधु को चाहने लगा है, क्योंकि मधु ऐसा ना सोच की वह उसके सामने स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए उसके परिवार कि मदद कर रहा है वह तो सच्चे दिल से मधु उसकी मां और छोटे भाई को अकेला समझकर उनका संकट में साथ दे रहा था, लेकिन आदित्य भी मधु जैसी ही लड़की को अपना जीवन साथी बनना चाहता था।
मधु की मां मधु से अपने गांव घर का पता एक कागज पर लिखवा कर आदित्य को देते हुए कहती है कि "बेटा जब तुम्हारे पास समय हो तो हमारे गांव घूमने जरूर आना और आदित्य की मां आदित्य से उसके परिवार में कौन-कौन सदस्य हैं, यह जानकारी लेती है तो आदित्य जैसे ही अपने परिवार के सदस्यों के बारे में बताने लगता है तो तभी रेल तेज होरन बजाते हुए रेलवे जंक्शन पर आ जाती है।
आदित्य रेल आने के बाद मधु उसकी मां छोटे भाई को रेल में चढ़ने में पूरी मदद करता है और अपना बैग लेकर खुद भी रेल में चढ़ जाता है, रेल तेज स्पीड से चलने लगती है तो आदित्य अपने मन में सोचता है कि सफर पूरा होने से पहले मैं मधु को अपने दिल की बात किस तरीके से बताऊं जो उसे बुरा भी ना लगे और इसी सोच विचार में आदित्य अपने गांव के रेलवे जंक्शन पर उतरना भूल जाता है और जब दो-तीन रेलवे स्टेशन के बाद आदित्य रेल से उतरता है तो अपने गांव जाने से पहले आखिरी बार रेल की खिड़की से मधु और उसकी मां छोटे भाई से मिलता है तो तब मधु मौका देखकर अपना प्रेम आदित्य को दिखाते हुए धीरे से आदित्य से कहती है कि "अपना ख़्याल रखना मधु कि रेल जाने के बाद आदित्य बहुत उदास हो जाता है।
मधु कि रेल रेलवे जंक्शन से जाने के बाद आदित्य को अचानक याद आता है कि उसने तो अपने गांव का पता ठिकाना मधु को दिया ही नहीं है, उसी समय एक गरीब बुढ़िया आदित्य से खाना खिलाने के लिए कहती हैं तो आदित्य (बटुए)पर्स से खाना खाने के लिए उस बुजुर्ग महिला को कुछ पैसे देता है, तो इसी बीच जल्दबाजी में मधु के गांव का घर का पता आदित्य के पर्स से गिर जाता है।
आदित्य जब उदास अपने घर पहुंचता है तो आदित्य को उदास निराशा देखकर उसकी दोनों भाभियां आदित्य से उसकी उदासी निराशा का कारण पूछती है? तो आदित्य उनको ठीक से जवाब दिए बिना अपने कमरे में जाकर उदास लेट जाता है।
मधु से मिलने के बाद अब आदित्य दिन रात मधु के ख्यालों में खोया रहता था, आदित्य को उसके दोनों भाई भाभियों ने अपने बच्चे जैसे पाल पोस कर बड़ा किया था, इसलिए जब से मधु से मिलने के बाद आदित्य उदास और निराशा रहने लगा था तो उसके भाई भाभियां भी आदित्य के लिए बहुत चिंतित रहने लगे थे।
आदित्य के दोनों भाई कम पढ़े-लिखे थे, इसलिए आदित्य ही उनके कारखाने का सारा हिसाब किताब और कामकाज देखता था।
एक दिन सुबह-सुबह आदित्य अपनी हवेली से बाइक पर अपने कारखाने जा रहा था, तो उसे एक मूर्तिकार अपने घर के आंगन में एक लड़की की खूबसूरत मूर्ति बनाते हुए दिखाई देता है, आदित्य उस मूर्तिकार के घर के आंगन में किनारे पर अपनी बाइक खड़ी करके उस मूर्तिकार के पास जाकर उससे पूछता है? "मैं अपनी कल्पना से एक चेहरा बताऊंगा क्या आप उस चेहरे जैसी मूर्ति बना सकते हो।"
"हां मैं वैसी ही मूर्ति बना सकता हूं जो आप अपनी कल्पना से मुझे बताओगे।" मूर्तिकार कहता है
और दूसरे दिन सुबह आने की कह कर आदित्य वहां से अपनी हवेली पर चला आता है दूसरे दिन सुबह आदित्य जल्दी नहा धोकर तैयार होकर उस मूर्तिकार के घर पहुंच जाता है और आंखें बंद करके मधु का चेहरा अपनी बंद आंखों के सामने लाकर मधु के चेहरे के नैन नक्श मूर्तिकार को बताता है, आदित्य रोज लगातार मूर्तिकार के घर जाता था, जल्दी से जल्दी मधु कि मूर्ति बनवाने के लिए।
मूर्तिकार आदित्य की कल्पना के हिसाब से मूर्ति का चेहरा कभी सही बनता था कभी गलत इसलिए मधु की मूर्ति बनने में बहुत दिन लग जाते हैं, मूर्ति पूरी तरह तैयार होने के बाद मूर्तिकार आदित्य से कहता है कि "मैं मूर्ति के ऊपर से कपड़ा हटाकर आपको मूर्ति दिखाऊंगा सिर्फ आप आंखें बंद करके दोबारा खोलना फिर मुझे बताना कि मैंने आपकी कल्पना के हिसाब से मूर्ति बनाई है या नहीं।
मूर्ति को देखने के बाद आदित्य को ऐसा लगता है कि मधु स्वयं उसके सामने खड़ी हुई है आदित्य समझ नहीं पा रहा था कि इस साधारण से दिखने वाले मूर्तिकार ने यह अद्भुत चमत्कार कैसे कर दिया है आदित्य मूर्तिकार की कला से खुश होकर उसे अपने गले लगा कर उससे कहता है कि "मैं तुम्हें इस मूर्ति को बनाने की मुंह मांगी कीमत दूंगा।"
आदित्य मधु की मूर्ति को अपने कमरे में ऐसी जगह रखता है जो उसकी नजर मधु कि मूर्ति पर हर पल पड़े एक दिन आदित्य कारखाने से शाम को अपनी हवेली में आता है, तो अपने कमरे में मधु की मूर्ति को न देखकर पागलों जैसे मधु की मूर्ति अपनी हवेली में ढूंढने लगता है। मूर्ति के लिए इतनी बेचैनी देखकर आदित्य के दोनों भाई भाभियों को भी समझ नहीं आ रहा था कि आदित्य ऐसा क्यों कर रहा है।
आदित्य के कमरे कि साफ सफाई करते वक्त उसके घरेलू नौकरों ने मूर्ति आदित्य के कमरे से उठाकर किसी अन्य कमरे में रख दी थी और मूर्ति मिलने के बाद आदित्य ऐसे खुश होता है जैसे उसे दुनिया की सारी खुशियां खोने के बाद दोबारा मिल गई हो।
आदित्य का मूर्ति के लिए यह पागलपन देखकर उसके दोनों भाई भाभियां उस खूबसूरत लड़की की मूर्ति के विषय में पूछते हैं?
तो आदित्य मधु और अपनी रेलवे जंक्शन कि मुलाकात के बारे में अपने दोनों भाई भाभियों को बताता है कि "मधु ही मेरा पहला और आखिरी प्यार है, और मधु का मुझसे घर का गांव का पता न जाने कहां खो गया है, अगर यह लड़की मुझे नहीं मिली तो मैं मधु की मूर्ति को ही मधु समझ कर मधु की मूर्ति के सहारे ही अपना पूरा जीवन काट लूंगा।"
आदित्य की यह अनोखी बात सुनकर उसके दोनों भाई भाभियां आदित्य से कहते हैं "हम इससे भी खूबसूरत लड़की से तेरी शादी करवा देंगे, लेकिन आदित्य के भाई भाभियां आदित्य की ज़िद के आगे हार मान जाते है और उन्हें यह चिंता लग जाती है कि आदित्य इस मूर्ति के सहारे अपना पूरा जीवन कैसे जिएगा।
कारखाने से छुट्टी होने के बाद शाम को जब आदित्य अपनी हवेली पर वापस आता था तो मधु की मूर्ति के सामने खाना खाते वक्त मधु की मूर्ति से बातें करते हुए ऐसे खाना खाता था, जैसे कि मधु स्वयं उसके सामने बैठी हो।
मधु से मिलने के बाद आदित्य को अपने बचपन के सबसे अच्छे दोस्त शिवम से भी मिले हुए बहुत समय बीत गया था, क्योंकि अब आदित्य हर पल मधु के ख्यालों में खोया रहता था शिवम भी काफी सालों से शहर में अपने मामा मामी के घर रह कर नौकरी कर रहा था।
बहुत साल मामा मामी के घर रहकर नौकरी करने के बाद शिवम हमेशा के लिए अपने गांव लौट आता है और अपने बचपन के दोस्त आदित्य से खुशी से मिलने उसकी हवेली पर आता है।
आदित्य अपने बचपन के दोस्त शिवम से मिलने के बाद अपने दिल का हाल उसे सुनता है कि "किस तरह वह मधु नाम की लड़की के प्रेम में दीवाना हो गया है और मधु कि मूर्ति शिवम को दिखा कर कहता है कि "मधु इस मूर्ति से भी ज्यादा खूबसूरत है।"
शिवम चेहरे पर मुस्कान लाकर आदित्य से कहता है कि "जब तू कह रहा है तो सच ही कह रहा होगा कि मधु इस मूर्ति से भी ज्यादा खूबसूरत है, लेकिन तूने अब तक अपनी प्रेम कहानी हमारी बचपन की दोस्त इंदु को सुनाई है या नहीं।"
"इंदु को अपनी प्रेम कहानी कैसे सुनाता क्योंकि दो महीने पहले इंदु कि शादी हो गई है और वह तब से अपनी ससुराल में ही रह रही है।"
आदित्य बताता
उसी समय आदित्य की छोटी भाभी शिवम आदित्य के पास घबरा कर आकर बताती है कि "इंदु अपनी ससुराल से अपने पति के साथ बाइक पर मायके आ रही थी और रास्ते में बस से एक्सीडेंट होने से इंदु और उसके पति की मौत हो गई है।"
इंदु कि मौत की खबर सुनकर आदित्य और शिवम के पैरों तले से जमीन खिसक जाती है, दोनों दोस्तों को अपनी बचपन की दोस्त इंदु की मौत की खबर सुनकर बहुत ज्यादा दुख पहुंचता है।
इंदु कि मौत की दुखद खबर सुनने के बाद उस रात शिवम अपने घर जाने की जगह आदित्य की हवेली में ही रुक जाता है और दोनों दोस्तों को इंदु की पुरानी बातें याद करते-करते रात के तीन बज जाते हैं।
आदित्य के साथ बातें करते-करते अचानक शिवम कि नजर मधु की मूर्ति पर जाती है तो मधु की मूर्ति के होंठ ऐसे हिल रहे थे, जैसे कि मधु की मूर्ति उन दोनों से कुछ कहना चाहती हो शिवम इंदु को याद करके आदित्य के गले लगा कर बार-बार आंसुओं से रो रहा था, इसलिए इंदु की आत्मा मधु की मूर्ति के अंदर प्रवेश करके शिवम और आदित्य को अपनी मौत के लिए ज्यादा दुखी होने से मना करती है।